
कैक्टस बढते रहते हैं!
कैक्टस घर की छतों पर भी उगते हैं,
ज़िंदगी के ठहरी ठहरी सी आबो- हवा में भी -
कैक्टस दिन रात बढते रहते हैं !
दुश्वारियों-परेशानियों के मंडराते
बादलों की छांव तले-
छतों पर उगे
कैक्टस बढ़ते ही रहते हैं .....
उन्हें इन बादलों में पानी की तलाश नहीं!
हाँ -
तपते-रिसते आंसुओं की नमी के सहारे -
छतों पर उगे कैक्टस
दिन रात बढ़ते ही रहते हैं .....
टिप्पणियां सादर आमंत्रित हैं.........
ReplyDeleteaap bahut achchha likhte hai ....i like it....
ReplyDeleteaadat hoti hai ye cactus ki,nahi jaane deta hai jal ki boondo ko bahar,badal jati hai pattiyan kanto me.aur kaante to doston ko bhi dard de dete hain.
ReplyDeleteकैक्टस को छ गए हैं भाई !
ReplyDeleteन मौसम बदला , न किसी ने पानी दिया
ReplyDeleteकैक्टस हो जाना उचित लगा - हरा तो हूँ !
bahut sundar bhav..
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